मौसमी संकट और आपदाएँ ( Meteorological Hazards and Disasters
जून 16, 2025
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मौसमी संकट और आपदाएँ ( Meteorological Hazards and Disasters). मौसमी संकट और आपदाएँ. प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं का वर्णन निम्न प्रकार है:-. चक्रवात की विशेषताएँ. सामान्यतः इस चक्रवात के आकार में व्यापक अन्तर देखने को मिलता है। औसतन इसका व्यास 80 से 300 किमी तक होता है, लेकिन कभी-कभी 50 किमी व्यास के छोटे चक्रवात भी देखने को मिलते हैं।. चक्रवात की गति से भी पर्याप्त अन्तर देखने को मिलता है। इसमें सुपर चक्रवात की गति 200 किमी प्रति घण्टा, हरिकेन की गति 120 किमी प्रतिघण्टा और क्षीण होते चक्रवात की गति औसतन 32 किमी प्रति घण्टा होती है।. उष्णकटिबन्धीय चक्रवातों की गति सागरों पर तीव्र होती है जबकि स्थल भाग पर पहुँचते समय इसकी गति मध्यम तथा आन्तरिक भागों में इसकी गति शून्य हो जाती है। इसलिए इस प्रकार के चक्रवात से सर्वाधिक हानि तटीय प्रदेशों में होती है।. उष्णकटिबन्धीय चक्रवातों से वर्षा प्रत्येक भाग में होती है। इसमें वर्षा की भिन्न-भिन्न कोशिकाएँ नहीं होती हैं। ये सदैव गतिशील नहीं रहती हैं। यह अनेक स्थानों पर अनेक दिनों तक स्थायी रहती हैं तथा वहाँ पर भारी वर्षा भी करती हैं।. इस चक्रवात के केन्द्र में वायुदाब कम होता है। इसकी समताप रेखाएँ वृत्ताकार होती हैं जिसकी संख्या कम होती है। यही कारण है कि ये मानचित्र पर आसानी से दृष्टिगोचर नहीं होती हैं। कभी-कभी इसके केन्द्र का दाब 650 मिलीबार तक चला जाता है।. उष्णकटिबन्धीय चक्रवात भिन्न-भिन्न पथों पर विभिन्न प्रकार से चलता है। इसकी दिशा विषुवत् रेखा से 15° अक्षांशों तक पश्चिमी तथा 15° अक्षांशों से 30° तक ध्रुवों की ओर तथा उसके बाद पुनः पश्चिमी हो जाती है। ये चक्रवात उपोष्ण कटिबन्ध में प्रवेश के साथ समाप्त होने लगते हैं।. उष्णकटिबन्धीय चक्रवात मुख्यतः ग्रीष्मकाल में आता है। शीतकाल में ये दिखाई नहीं देते हैं। शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की अपेक्षा इनकी संख्या और प्रभावित क्षेत्र बहुत ही कम होते हैं।. चक्रवातों के प्रकार. उष्ण कटिबन्धीय विक्षोभ ये एक या दो घिरी हुई समदाब रेखाओं वाला चक्रवात होता हैं, जिसमें हवाएँ क्षीण गति से केन्द्र की ओर प्रवाहित होती हैं।
इन चक्रवातों का क्षेत्र अधिक व्यापक एवं विस्तृत होता है।. उष्णकटिबन्धीय अवदाब एक से अधिक समदाब रेखाओं वाले छोटे आकार के उष्णकटिबन्धीय चक्रवात अवदाब कहलाते हैं। इनकी दिशा व गति अनियमित होती है।. प्रचण्ड चक्रवात (हरिकेन और टॉरनेडो). हरिकेन या टाइफून अनेक घिरी हुई समदाब रेखाओं वाले विस्तृत उष्णकटिबन्धीय चक्रवात को यू. एस. ए. में हरिकेन तथा चीन में टाइफून कहते हैं।. टॉरनेडो यह कीप के आकार वाला एक प्रचण्ड स्थानीय तूफान है जिनका ऊपरी भाग छतरीनुमा होता है तथा मध्यवर्ती व निचला भाग पाइप जैसा होता है, जो धरातल को स्पर्श करता है।. चक्रवात और मौसम. उष्णकटिबन्धीय चक्रवातों के आगमन से पहले वायु की गति धीमी हो जाती है, लेकिन शीघ्र ही तापमान के बढ़ने और वायुदाब के घटने के कारण वायु की गति बढ़ने लगती है।. चक्रवात के आगमन से आकाश में पक्षाभ मेघ दिखने लगते हैं। समुद्र में ऊँची तरंगें उठने लगती हैं। जैसे-जैसे चक्रवात समीप आता जाता है हवाएँ तूफान का रूप धारण करती हैं, आकाश में काले कपासी बादल छा जाते हैं और भारी वर्षा होती है।. चक्रवात से सामान्यतः 10-25 सेमी औसतन वर्षा होती है, लेकिन चक्रवात में अवरोध होने पर इसकी औसतन वर्षा 75-100 सेमी तक हो जाती है।. चक्रवात के चक्षु (केन्द्र) तब दृष्टिगोचर होते हैं जब आकाश पूर्णतया मेघाच्छादित हो जाता है। दृश्यता समाप्त हो जाती है। यह स्थिति घण्टों तक रहती है। इसके बाद अचानक वायु मन्द पड़ जाती है, आकाश मेघ रहित हो जाता है और वर्षा रुक जाती है।. चक्रवात के आगे बढ़ने पर वायुदाब बढ़ता जाता है, मेघों का आवरण हल्का होता जाता है, वायु की गति मन्द पड़ने लगती है और अन्त में वर्षा भी क्षीण हो जाती है। चक्रवात की स्थिति समाप्त हो जाने पर आकाश साफ हो जाते हैं और मौसम खुल जाता है।.
चक्रवातों का वितरण. उत्तरी अटलाण्टिक महासागर इसके अन्तर्गत निम्नलिखित क्षेत्रों को शामिल किया जाता है. उत्तरी प्रशान्त महासागर यहाँ उत्पन्न होने वाले चक्रवात उत्तर-पश्चिम दिशा में सफर करके कैलिफोर्निया के तट को भी प्रभावित करते हैं तथा कभी-कभी ये हवाई द्वीप तक पहुँच जाते हैं। यहाँ जून से नवम्बर के माह में प्रतिवर्ष चक्रवात आते हैं।. दक्षिणी-पश्चिमी व उत्तरी प्रशान्त महासागर इन क्षेत्रों में चक्रवात मई से दिसम्बर तक आते हैं। जिससे चीन सागर, फिलीपीन्स द्वीप समूह और दक्षिणी जापान क्षेत्र प्रभावित होते हैं। इन भागों में इस चक्रवात को टाइफून कहा जाता है। इन क्षेत्रों में औसतन 21 टाइफून प्रतिवर्ष आते हैं।. दक्षिणी हिन्द महासागर यहाँ नवम्बर से अप्रैल के मध्य मैडागास्कर, मॉरीशस व रीयूनियन द्वीपों में चक्रवात आते हैं।. दक्षिणी प्रशान्त महासागर दिसम्बर से अप्रैल के मध्य यह चक्रवात उत्तरी-पूर्वी ऑस्ट्रेलियाई तटों को प्रभावित करते हैं।. उत्तरी हिन्द महासागर इन क्षेत्रों में आने वाले चक्रवात को अवदाब भी कहा जाता है। इस प्रदेश में अप्रैल से दिसम्बर तक बंगाल की खाड़ी तथा सितम्बर से दिसम्बर तक अरब सागर क्षेत्र में चक्रवात आते हैं।. तड़ित झंझा (Lightening). तड़ित झंझा की विशेषताएँ. तड़ित झंझा एक ऐसी स्थानीय पवन है जिसमें केन्द्रीय भाग से तीव्र गति से वायु ऊपर की ओर उठती है।. तड़ित झंझा को गति प्रदान करने में गतिज ऊर्जा की भूमिका होती है। गतिज ऊर्जा संघनन की गुप्त ऊष्मा के निवेश द्वारा स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में रूपान्तरण होता है।. विशालकाय तड़ित झंझा को मध्य स्तरीय संवहनीय कॉम्पलेक्स भी कहा जाता है। इसका निर्माण अनके तड़ित झंझा के आपस में मिलने से होता है। यह एक अत्यन्त शक्तिशाली वायुमण्डलीय तूफान होता है।. तड़ित झंझा में अनेक संवहनीय कोशिकाएँ होती हैं, जो आर्द्र वायु के रूप में ऊर्ध्वाधर गति करती हैं।. एक कोशिकीय तड़ित झंझा अधिक शक्तिशाली नहीं होता है, लेकिन जब तड़ित झंझा का निर्माण अनेक कोशिकाओं के द्वारा होता है, तो वह एक सर्वाधिक शक्तिशाली तूफान का रूप लेता है। इसका प्रभाव बहुत ही विध्वंसक होता है।. तड़ित झंझा एक अल्पकालिक स्थानीय मौसमी घटना है, जो एक से दो घण्टे में अपने सम्पूर्ण जीवनकाल को प्राप्त करता है, लेकिन विशिष्ट परिस्थितियों में ये मौसमी घटना अनेक घण्टों तक चलती रहती है।. आर्द्र आयनवर्ती प्रदेशों में तड़ित झंझा एक दैनिक परिघटना है जिसकी आवृत्ति समुद्र तल की अपेक्षा स्थल भागों में अधिक देखने को मिलती है, क्योंकि संवहनीय क्रियाएँ सागर की अपेक्षा स्थलीय भागों में अधिक सम्भावित हैं।. वायुमण्डल में अस्थिरता होनी चाहिए। इसमें संवहनीय अस्थिरता अधिक प्रभावी होती है।. ऊपरी भाग में रुद्धोष्म ताप परिवर्तन की दर सामान्य से अधिक होनी चाहिए।. हवाएँ गर्म, आर्द्र और ऊपर की ओर उठती हुई होनी चाहिएँ।. वायु में धरातल से पर्याप्त मात्रा में आर्द्रता की पूर्ति होनी चाहिए।. झंझा को संघनन एवं संलयन से भारी मात्रा में गुप्त ऊष्मा की आपूर्ति होनी चाहिए तथा वायुमण्डल में कपासीवर्षी मेघों की एक मोटी परत होनी भी झंझावात के लिए आवश्यक होती है।. कपासी बादल की अवस्था यह तड़ित झंझा के विकास का पहला चरण है इसे तरुणावस्था भी कहते हैं। इसमें धरातलीय उष्मन से हवाएँ गर्म होती हैं और आर्द्रता ग्रहण करने के बाद फैलकर संवहनीय धारा का रूप ले लेती हैं। इसमें वायु का केवल उपरिमुखी संचलन ही होता है।. दूसरी अवस्था अथवा प्रौढ़ावस्था तड़ित झंझा की इस अवस्था में वायु का उपरिमुखी और अधोमुखी दोनों दिशाओं में संचलन होता है। इस समय बादलों के तेज गर्जना और बिजली के चमकने के साथ कपासीवर्षी मेघों द्वारा भारी मात्रा में मूसलाधार वर्षा होती है. अवसान अवस्था इसको तड़ित झंझा की अन्तिम अवस्था अथवा जीर्णावस्था भी कहा जाता है। इस अवस्था में वायु का उपरिमुखी संचलन समाप्त हो जाता है और अधोमुखी संचलन प्रभावी हो जाता है। आकाश में पक्षाभस्तरीय मेघ छा जाते हैं। वर्षा समाप्त हो जाती है और वायुमण्डल स्थिरता को प्राप्त करता है।. तड़ित झंझा का वर्गीकरण. तापीय अथवा स्थानीय तड़ित झंझा. पर्वतीय तड़ित झंझा. अभिवहनीय तड़ित झंझा. उष्ण वाताग्री तड़ित झंझा. शीत वाताग्री तड़ित झंझा. तड़ित झंझा और मौसम. वर्षा. ओलावृष्टि. कोमल ओला इसको ग्रापेल भी कहा जाता है। इसके हिमकणों का व्यास 5 मिलीमीटर से कम होता है। धरातल पर गिरने के बाद यह टूट जाते हैं।. लघु ओला इसमें हिमकण जलवर्षा के साथ मिले होते हैं यह धरातल पर गिरने के बाद कोमल ओले के समान बिखरते नहीं हैं।. विनाशी ओला ये प्रचण्ड प्रकृति के ओले होते हैं। इनके आकार बड़े होते हैं जिसका भार ग्राम से लेकर किलोग्राम तक होता है। इनसे खड़ी फसलों, मनुष्यों, पक्षियों, जन्तुओं और वनस्पतियों को भारी हानि होती है।. वृष्टि प्रस्फोट (बादल का फटना). तड़ित झंझा का वितरण. टॉरनेडो (Tornado). बार्यस के अनुसार,. क्रिचफील्ड के अनुसार,. पेटसर्न के अनुसार,. टॉरनेडो की विशेषताएँ. टॉरनेडो प्रचण्ड का वह रूप है जिसमें घरातलीय वायु को ऊपरी वायु बहुत ही तीव्रता के साथ ऊपर की ओर खींचती है जिससे संवहनीय अस्थिरता उत्पन्न होती है।. टॉरनेडो में वायुदाब बहुत ही अल्प होता है इसके केन्द्र के वायुदाब और इसके बाह्य भाग के वायुदाब में 100 मिलीबार तक का अन्तर होता है। वर्ष 1904 में यू.एस.ए. के मिनिसोय प्रान्त में टॉरनेडो का वायुदाब 813 मिलीबार रिकॉर्ड किया गया था।. टॉरनेडो के छलनी के व्यास में धरातल और ऊपरी भाग में व्यापक अन्तर दिखाई देता है जहाँ धरातल के समीप छलनी का व्यास 90 मी तक होता है वहीं ऊपरी भाग में इसका व्यास 460 मी तक होता है।. टॉरनेडो एक प्रचण्ड तड़ित झंझावात है। जिसके केन्द्रीय भाग और बाह्य भाग के वायुदाब में तीव्र प्रवणता होती है। इस तीव्र प्रवणता के कारण वायु का वेग 400 से 800 किमी प्रति घण्टा तक चला जाता है।. टॉरनेडो में वायु केन्द्र की ओर तेजी से झपटती हुई भँवर के रूप में ऊपर की ओर उठती दिखाई देती है। यह किसी सुनिश्चित मार्ग या दिशा का पालन नहीं करती है। कभी-कभी ये एक विशेष स्थान पर ही स्थायी हो जाते हैं।. टॉरनेडो का जीवनकाल 15 से 20 मिनट तक का होता है जो बहुत ही संकरे मार्ग से आगे बढ़ते हैं। इसकी चौड़ाई कुछ मीटर से लेकर 2000 मी तक होती है। इसकी औसतन लम्बाई 40-50 किमी जो सामान्यतः 40 से 50 किमी तक की यात्रा करती है। वर्ष 1970 में संयुक्त राज्य अमेरिका के इण्डियाना प्रान्त में टॉरनेडो द्वारा 570 किमी तक की दूरी तय की थी।. टॉरनेडो के आगमन से पूर्व आकाश में गहरे रंग के बादल छा जाते हैं, जिसके कारण वातावरण में घुँघ अन्धेरा छा जाता है। टॉरनेडो के साथ धूल, राख, मलवा आदि भारी मात्रा में मिलकर चलते हैं।. टॉरनेडो के समूह को टॉरनेडो का परिवार कहते हैं। प्रायः टॉरनेडो अकेले चलते हैं, लेकिन कभी-कभी ये 7-8 के समूह में चलते हैं। जब किसी क्षेत्र विशेष में टॉरनेडो एक के बाद एक लगातार क्रम में आते हैं तो उसको टॉरनेडों प्रस्फोट या टॉरनेडो विप्लव कहा जाता है।. टॉरनेडो की उत्पत्ति. ज़मीन की सतह के पास हवा का प्रबल अभिसरण. वायुराशियों की उत्पत्ति जो ऊपर उठती हैं और विश्राम करती हैं, अर्थात् उत्प्लावन वायुराशि. धरातलीय सतह के ऊपर वायु का वृहत अपसरण. लम्ववत् रूप में पवन अपरूपण. वायुमण्डल के निचली परत में आर्द्र वायुराशि की उत्पत्ति. ऊँचाई के साथ तापमान में तेजी से परिवर्तन अर्थात् अस्थिर तापीय उत्तम संरचना. धरातलीय सतह पर चक्रवात जनन की दशाएँ हों और वायु के घूर्णन के लिए पहले से स्थापित क्रियाविधि उपस्थित हो।. टॉरनेडो का वितरण. टॉरनेडो प्रचण्डता का मापक. कमजोर टॉरनेडो. श्रेणी 0 इसमें वायु की गति 64 से 115 किमी प्रति घण्टा होती है। इसमें पेड़ों की शाखाएँ टूट जाती हैं, साइनबोर्ड क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।. श्रेणी 1 इसमें वायु की गति 116 से 179 किमी प्रति घण्टा होती है। इसमें वृक्ष टूट जाते हैं व मकान के काँच की खिड़कियाँ आदि टूट जाती हैं।. प्रबल टॉरनेडो. श्रेणी 2 इसमें वायु की गति 180 से 187 किमी प्रति घण्टा होती है। इसमें बड़े पेड़ उखड़ जाते हैं ढीली संरचना वाले भवन अधिक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।. श्रेणी 3 इसमें वायु की गति 188 से 329 किमी प्रति घण्टा होती है। इसमें पेड उखड़कर टॉरनेडो के साथ उड़ने लगते हैं। इसको टॉरनेडो मिसाइल भी कहा जाता है।. उग्र टॉरनेडो. श्रेणी 4 इसमें वायु की गति 330 से 416 किमी प्रति घण्टा होती है। इसमें मकान नष्ट हो जाते हैं, पेड़, स्वचालित वाहन आदि हवा में तैरते नजर आते हैं।. श्रेणी 5 इसमें वायु की गति 417 से 509 किमी प्रति घण्टा होती है। इसमें विध्वंसक क्षति होती है। यह सर्वनाश की अवस्थिति है।. टॉरनेडो का प्रभाव. सभी वायुमण्डलीय तूफानों में टॉरनेडो सर्वाधिक विनाशकारी प्रकोप एवं आपदा की श्रेणी में आता है। संयुक्त राज्य अमेरिका का दक्षिणी एवं पूर्वी क्षेत्र टॉरनेडो से प्रभावित क्षेत्र है।. टॉरनेडो मानव जीवन एवं सम्पत्ति की क्षति के दृष्टिकोण से सर्वाधिक घातक तथा खतरनाक वायुमण्डलीय घटना है। इससे सामान्यतः संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रतिवर्ष लगभग 100 मिलियन डॉलर मूल्य की सम्पत्ति की हानि होती है और प्रतिवर्ष लगभग 150 से अधिक लोगों की जानें भी जाती हैं।. टॉरनेडो से पेड़ उखड़ जाते हैं, भवनों के लोहे व चादरों से बनी छतें उड़ जाती हैं, इसके साथ ही इससे मानवकृत अन्य संरचनाओं तथा मानव जीवन की अपार क्षति होती है।. ताप एवं शीत लहर (उष्ण एवं शीत तरंगें) (Heat and Cold Waves). ताप लहर किसी एक दिन की गर्म स्थिति के कारण उत्पन्न नहीं होता है बल्कि यह तब संकट के रूप में आता है जब अति गर्म एवं अति शुष्क दशाएँ लगातार अनेक सप्ताह तक रहती हैं। ताप लहर एक पर्यावरणीय प्रकोप है जिससे मनुष्य के साथ-साथ जीव एवं जन्तुओं को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। उत्तर भारत में गर्मियों के समय चलने वाली गर्म हवाएँ 'लू' भी एक प्रकार का ताप लहर (हीट वेव्स) ही है।. शीत लहर जब लगातार अनेक सप्ताह तक अति शीत दशा के कारण जब प्रचण्ड हिमपात होने लगता है, तो वह स्थिति शीत लहर कहलाती है। शीत लहर का संकट तब उत्पन्न होता है जब लगतार अनेक वर्षों तक अति शीतल दशा शुष्कता के साथ किसी क्षेत्र विशेष में पाई जाती है। शीत लहर भी ताप लहर की तरह एक पर्यावरणीय घटना है जिसे मानव समुदाय के साथ-साथ जीव-जन्तु व वनस्पति आदि भी प्रभावित होते हैं।. हिम झील प्रस्फोटन (Glacier Lake Outburst Flood, Glof). हिमनद के प्रस्फोटन के विश्लेषण की तकनीक. एक आयामी विश्लेषण इस प्रकार के आयामी विश्लेषण में बाढ़ की भयावहता के बारे में जानकारी अर्थात् जल प्रवाह (बहाव), प्रवाह का वेग और जल स्तर तथा समय के साथ इनकी भिन्नता को ज्ञात किया जा सकता है।. दो आयामी विश्लेषण इस प्रकार की आयामी विश्लेषण के मामलों में बाढ़ क्षेत्र के बारे में अतिरिक्त जानकारी जैसे कि सतह ऊँचाई और दो आयामों में वेग की भिन्नता का भी मूल्यांकन किया जा सकता है।.